Avyakt Murli 03-12-1970 | ब्राह्मणों का सम्पूर्ण स्वरूप क्या है | अमूल्य रत्न 139 | अव्यक्त मुरली
स्वस्थिति अर्थात् मास्टर सर्वशक्तिमान। ईस स्थिती में रह्ने से सर्व परिस्थितीयों से पार हो जाते हैं। स्वभाव अर्थात् सर्व में और स्व में आत्मा के भाव का अनुभव होना। ‘ब्राह्मणों का अन्तिम सम्पूर्ण स्वरूप - इच्छा मात्रम् अविद्या’ जब तक सूक्ष्म व स्थूल कामना है तब तक सामना करने की शक्ति आ नहीं सकती। सर्व आत्माओं के कल्याणकारी सो विश्व के राज्य अधिकारी बनना है। अहंकार अलंकारहीन बना देता है। इसलिए निरहंकारी और निराकारी फिर अलंकारी स्थिति में स्थित होने से सर्व के कल्याणकारी बन सकते हैं।
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